पतंग की कहानी 

आदर्श: जीवन की सच्चाई 

उप आदर्श: सम्मान, प्रेम 

एक बेटा अपनी माँ को पतंग उड़ाते हुए बहुत ध्यान से देख रहा था। कुछ समय बाद बेटे ने माँ से कहा, “माँ, पतंग की डोरी के कारण वह और ऊँची नहीं जा पा रही है।“ यह सुनकर, माँ मुस्कुराई और उसने डोरी तोड़ दी।

पतंग और ऊँची जाती है और उसके तुरंत बाद, वह नीचे आकर ज़मीन पर गिर जाती है। बेटा बहुत ही हताश और उदास हो जाता है और तब उसकी माँ उसके पास बैठ कर उसे धीरता से समझाती है:

“बेटा, जीवन में एक स्तर पर पहुँचने के बाद, हमें लगता है कि कुछ ऐसी डोरियाँ हैं जो हमें और अधिक ऊँचाईयों तक पहुँचने से रोक रहीं है जैसे कि घर, परिवार, दोस्त, संस्कृति इत्यादि। यद्यपि हमें यह डोरियाँ बाधा प्रतीत होती हैं और हम इनसे मुक्त होना चाहते हैं लेकिन बेटा, हमेशा याद रखना कि हमारा घर, परिवार, दोस्त, संस्कृति ही हमें ऊँचाईयों पर स्थिर रहने में मदद करते हैं। यदि हम स्वयं को इन डोरियों से दूर करने की कोशिश करेंगे तो हमारी परिस्थिति पतंग की तरह हो जाएगी। हम जल्द ही गिर जाएँगे।

सीख:

हमें अपने घर, परिवार, दोस्तों, संस्कृति व रिश्तों से कभी दूर नहीं जाना चाहिए क्योंकि जब हम ऊँची उड़ान भर रहे होते हैं तब ये हमें स्थिर रखने में मदद करते हैं।

अनुवादक- अर्चना 

Source: http://www.saibalsanskaar.wordpress.com

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