आदर्श: उचित आचरण, सच्चाई
उप आदर्श: भरोसा, निष्ठा
एक शिक्षक कक्षा में एक छात्र को तीन खिलौने दिखाता है और छात्र से तीनों खिलौनों में अंतर बताने को कहता है। सभी तीन खिलौने अपने आकार, माप और वस्तुगत रूप से एक जैसे प्रतीत हो रहे थे।
खिलौनों को बारीकी व विस्तारपूर्वक देखने पर छात्र ने पाया कि उनमें छेद थे। पहले खिलौने के कानों में छेद थे; दूसरे खिलौने के कान और मुँह में छेद थे; और तीसरे खिलौने के एक कान में केवल एक छेद था।
एक पतला व लंबा तिनका लेकर छात्र उसे पहले खिलौने के कान के छेद में डालता है। उसे यह देखकर आश्चर्य होता है कि वह तिनका दूसरे कान से बाहर निकल आता है। दूसरे खिलौने के कान में तिनका डालने पर वह उसके मुँह से बाहर निकल आता है। और अंत में, तीसरे खिलौने में तिनका डालने पर वह बाहर नहीं निकलता है।
छात्र निम्न निष्कर्ष पर पहुँचता है:
पहला खिलौना आपके आसपास के उन लोगों का निरूपण करता है जो दिखाते तो हैं कि वह आपकी बात सुन रहें हैं और आपकी परवाह करते हैं लेकिन वह ऐसा करने का केवल ढोंग कर रहे होते हैं। उनपर भरोसा करके आप जो बातें उन्हें बताते हैं वह आपकी बात सुनने के बाद, जिस प्रकार तिनका दूसरे कान से निकल जाता है, उन्हें भूल जाते हैं। अतः ऐसे लोगों से बात करते समय सावधान रहें।
दूसरा खिलौना उन लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और ऐसा दिखाते हैं कि वह आपकी परवाह करते हैं। लेकिन जैसे खिलौने में तिनका मुँह से बाहर निकल आता है उसी तरह ऐसे लोग आपकी विश्वास में बताईं बातें बिना झिझक दूसरों को बता देते हैं।
तीसरे खिलौने में तिनका बाहर नहीं निकलता है। यह विश्वसनीय लोगों का वर्णन करता है। यह वह लोग हैं जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं।
सीख:
सदैव निष्ठावान व विश्वसनीय लोगों की संगत में रहें। आपकी बात सुनने वाले लोग सदैव वह नहीं होते हैं जिनपर आप ज़रूरत के समय विश्वास कर सकते हैं।
Source: http://www.saibalsanskaar.wordpress.com
अनुवादक- अर्चना