सब कुछ भले के लिए होता है

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आदर्श : शान्ति
उप आदर्श : धैर्य, सहनशीलता

जो भी होता है, भले के लिए होता है।

परन्तु हम शायद इसे समझ नहीं पाते हैं; विशेषतः अगर वह हमारी पसंद का न हो। निम्न कहानी इसे प्रभावशाली रूप से दर्शाती है-

मैं : भगवान, क्या मैं आपसे एक प्रश्न कर सकता हूँ?

भगवान: अवश्य

मैं : वादा, आप नाराज़ नहीं होंगे?

भगवान : मैं वादा करता हूँ।

मैं(आलोचनात्मक ढंग से) :  आपने आज मेरे साथ इतना सब कुछ क्यों होने दिया?

भगवान : क्या मतलब है?

मैं (चिड़चिड़ाकर) : आज मैं देर से उठा था।

भगवान : हाँ

मैं (गुस्से से) : मेरी गाड़ी को शुरू होने में बहुत देर लगी थी ।

भगवान : ठीक

मैं (शिकायत करते हुए) : दोपहर के भोजन में मेरा सैंडविच गलत बना था जिस कारण मुझे इंतज़ार करना पड़ा था।

भगवान : हम्म्म …

मैं (झल्लाकर) : घर लौटते समय जैसे ही मैंने फ़ोन उठाया, मेरा फ़ोन खराब हो गया।

भगवान : बिलकुल सही

मैं (निराश होकर) : और इन सब के बाद, जब मैं घर पहुँचा तो थकान उतारने के लिए मैं, मालिश की नई मशीन में अपने पैर रखना  चाहता था पर वह भी काम नहीं कर रही थी। आज कुछ भी ठीक नहीं हुआ। आपने ऐसा क्यों किया?

भगवान : आज सुबह यमदूत तुम्हें लेने आए थे और तुम्हारी ज़िन्दगी के लिए संघर्ष करने हेतु मुझे एक अन्य देवदूत भेजना पड़ा था। उस दौरान मैंने तुम्हें सोने दिया।

मैं (विनम्रता से) : ओह!

भगवान : मैंने तुम्हारी गाड़ी शुरू नहीं होने दी क्योंकि तुम्हारे रास्ते में एक नशे में धुत्त चालक था। अगर तुम सड़क पर होते तो वह तुम्हें मार देता।

मैं (लज्जित)…

भगवान : पहला व्यक्ति जिसने आज तुम्हारा सैंडविच बनाया था, वह बीमार था। मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें उसकी बीमारी लगे क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हें काम पर जाना कितना ज़रूरी है।

मैं (शर्मिंदा) : अच्छा …

भगवान : तुम्हारा फ़ोन इसलिए खराब हो गया था क्योंकि एक व्यक्ति तुम्हें गलत सूचना देने वाला था। तुम्हारी सुरक्षा के लिए मैंने तुम्हारी उससे बात नहीं होने दी।

मैं (विस्मय में) : समझा भगवान

भगवान : और तुम्हारी मालिश की मशीन में कुछ खराबी थी जिसके कारण, आज रात तुम्हारा सारा घर बिजली के बिना रहता। मुझे नहीं लगता कि तुम अंधेरे में रहना पसंद करते।

मैं : मुझे खेद है, प्रभु

भगवान : दुखी मत हो। केवल मुझ पर भरोसा करना सीख लो- हर परिस्थिति में, अच्छी या बुरी।

मैं : अब मैं आप पर विश्वास करूँगा।

भगवान : इस बात पर कभी शक मत करना कि तुम्हारे दिन के लिए मेरी योजना, तुम्हारी योजना से सदा बेहतर होती है।

मैं :  नहीं करूँगा भगवान। मैं आपसे केवल इतना कहना चाहता हूँ कि आज की हर चीज़ के लिए आपका धन्यवाद।

भगवान :  तुम्हारा स्वागत है, बच्चे। मुझे अपने बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं और मैं सदैव उनका ध्यान रखता हूँ।

   सीख :

जो वस्तुएँ हमारे नियंत्रण में नहीं है, हमें उनके प्रति धैर्य तथा सहनशीलता रखनी चाहिए। हमें अपना श्रेष्ठ करना चाहिए, सही रवैया रखना चाहिए और सहनशीलता का विकास करना चाहिए। हमें इस बात सदा ध्यान रखना चाहिए कि जो भी होता है, वह सर्वश्रेष्ठ के लिए होता है। उसमें सदा हमारे लिए सीख होती है।

http://saibalsanskaar.wordpress.com

translation-  अर्चना

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